अन्नप्राशन संस्कार पूजा विधि | Annaprasana Sanskar Ceremony Vidhi
हिंदू धर्म में कुल 16 संस्कारों का वर्णन हैं, जिनमें से अन्नप्राशन एक अहम संस्कार है। 16 संस्कारों में इसे सातवां संस्कार माना गया है। इस संस्कार के साथ बच्चे को अन्न खिलाना शुरू किया जाता है। देशभर के अलग-अलग राज्यों में इस संस्कार को अलग-अलग नाम से बुलाया जाता है, जैसे केरल में चूरूनू और बंगाल में मुखे भात।
Arun Pandit Ji के इस लेख में हम अन्नप्राशन की रस्म के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। इस लेख में जानेंगे कि आखिर क्यों इस रस्म को इतना खास माना जाता है और इस रस्म का महत्व क्या है। साथ ही हम यह भी बताएंगे कि अन्नप्राशन संस्कार कैसे किया जाता है और इससे जुड़े कुछ खास टिप्स भी आपको देंगे।
----अन्नप्राशन संस्कार का महत्व | Annaprashan Sanskar Ka Mahatva----
अन्नप्राशन से पहले शिशु केवल मां का दूध पीता है, इसलिए इस संस्कार का महत्व और बढ़ जाता है, क्योंकि यही वह समय होता है, जब शिशु मां के दूध के अलावा, पहली बार अन्न ग्रहण करता है। अन्नप्राशन को लेकर संस्कृत में एक श्लोक भी है ‘अन्नाशनान्मातृगर्भे मलाशाद्यपि शुद्धयति’ यानी मां के गर्भ में रहते हुए शिशु में मलिन भोजन के जो दोष आते हैं, उसका निदान करना चाहिए और शिशु को पोषण देने के लिए भोजन कराना चाहिए। बात की जाए शास्त्रों की, तो इनमें भी अन्नप्राशन का महत्व माना गया है।
----कब करना चाहिए अन्नप्राशन संस्कार? | Annaprasana Kab Karna Chahiye----
अन्नप्राशन संस्कार शिशु के छह या सात महीने का हो जाने पर किया जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि छह महीने तक शिशु सिर्फ मां का दूध पीता है। इसके अलावा, सातवें महीने तक शिशु हल्का भोजन पचाने में सक्षम हो जाता है। ऐसे में छठे या सातवें महीने में अन्नप्राशन करना शिशु की सेहत के लिहाज से भी फायदेमंद होता है।
----अन्नप्राशन कहां करना चाहिए?----
आमतौर पर अन्नप्राशन संस्कार मंदिर में या घर में किया जाता है। आप विशेष आयोजन करके भी अन्नप्राशन संस्कार को संपन्न करा सकते हैं। इसका चयन आप अपनी परंपरा के अनुसार कर सकते हैं। आपको बता दें कि केरल में लोग अपने बच्चे का अन्नप्राशन हिंदुओं के प्रसिद्ध मंदिर गुरुवायूर में कराते हैं, तो वहीं मध्य भारत और उत्तर-पूर्वी भारत में लोग घर में ही अन्नप्राशन संस्कार संपन्न कराते हैं।
----कैसे किया जाता है अन्नप्राशन संस्कार? | Annaprashan Sanskar Vidhi----
अन्नप्राशन संस्कार की शुरुआत में बच्चे को मामा की गोद में बिठाया जाता है और मामा ही उसे पहली बार अन्न खिलाते हैं। पहला निवाला खाने के बाद परिवार के अन्य सदस्य बच्चे को अन्न खिलाते हैं, दुआएं देते हैं और बच्चे के लिए उपहार भी लाते हैं। इस दौरान बच्चे के सामने मिट्टी, सोने के आभूषण, कलम, किताब और खाना रखा जाता है। इनमें से शिशु जिस पर हाथ रखता है, उसी से उसके भविष्य का अंदा्जा लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है :
- अगर बच्चा सोने के आभूषण पर हाथ रखे, तो माना जाता है कि वह भविष्य में धनवान रहेगा।
- अगर बच्चा कलम पर हाथ रखे, तो वह बुद्धिमान होगा।
- अगर बच्चा किताब पर हाथ रखे, तो वह सीखने में आगे रहेगा।
- अगर बच्चा मिट्टी पर हाथ रखे, तो उसके पास संपत्ति होगी।
- अगर बच्चा खाने पर हाथ रखे, तो वह दयावान होगा।
नोट : अलग-अलग धर्म और परम्पराओं के आधार पर अन्नप्राशन संस्कार की विधि में बदलाव हो सकते हैं।
----अन्नप्राशन के दौरान बच्चे को कैसा भोजन खिलाया जाता है?----
भले ही यह शिशु का पहला भोजन हो, लेकिन इस रस्म में बच्चे के लिए कई तरह के व्यंजन बनाए जा सकते हैं। हालांकि, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप किस क्षेत्र से हैं और किस समुदाय से हैं। इस दौरान नीचे बताई गई चीजें शिशु को खिलाई जाती हैं
- खीर
- छौंके हुए चावल या पुलाव
- मीट से बने व्यंजन
- मछली
- दाल, सांबर या रसम
----अन्नप्राशन संस्कार समारोह आयोजित करने के लिए टिप्स----
अन्नप्राशन बच्चे के लिए बेहद खास समारोह होता है, लेकिन इस दौरान सुरक्षा के लिहाज से कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत होती है। नीचे हम आपको अन्नप्राशन संस्कार से जुड़े कुछ खास टिप्स दे रहे हैं, जो आपके काम आएंगे :
- अन्नप्राशन के दौरान बच्चे को खिलाते समय हमेशा साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। ऐसे में जरूरी है कि उसे खिलाने वाला हर व्यक्ति अपने हाथों को ठीक से धोए, ताकि बच्चे को इन्फेक्शन न हो।
- इस समारोह से पहले बच्चे को अच्छी तरह सुला दें, ताकि समारोह के दौरान वो नींद से चिड़चिड़ा न हो।
- हमेशा बच्चे को मुलायम, आरामदायक और ढीले-ढाले कपड़े पहनाएं।
- इस बात का ध्यान दें कि बच्चे के आसपास ज्यादा भीड़ न हो। ऐसे में बस अपने खास मेहमानों को ही न्योता दें।
- अगर ठंड का मौसम है, तो बच्चे का एक स्वेटर हमेशा साथ में रखें। अगर उसे ज्यादा ठंड लगने लगे, तो पहना दें। वहीं, अगर गर्मियों का मौसम है, तो बच्चे के सूती कपड़े अपने पास रखें, ताकि जरूरत पड़ने पर उसके कपड़े तुरंत बदल सकें।
- हमेशा आसपास नैप्किन और टिशू रखें, ताकि बच्चे को खिलाने के बाद उसका मुंह साफ करते रहें।
- इसके अलावा, बच्चे को बीच-बीच में आराम भी कराती रहें, ताकि उसे थकान न हो। थकान होने पर बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है।
- इस दौरान, आप अपने बच्चे को धुएं वाली जगह से दूर रखें। इससे उसकी आंखों में जलन हो सकती है।
----अन्नप्राशन में रिटर्न गिफ्ट के सुझाव----
भारतीय लोगों में यह परंपरा देखी गई है कि घर आए मेहमानों को कभी खाली हाथ नहीं जाने देते। यही कारण है कि मेहमानों को विदा करते समय हमेशा कुछ न कुछ दिया जाता है। परंपराओं के अनुसार, पहले लोग शगुन का सिक्का जाते समय दिया करते थे, लेकिन वक्त के साथ-साथ अब उपहारों के स्वरूप बदल रहे हैं। हालांकि, रिटर्न गिफ्ट देना व्यक्ति के बजट पर भी निर्भर करता है। इसके लिए जरूरी है कि आप पहले एक बजट बना लें और उसी के हिसाब से रिटर्न गिफ्ट दें। बहरहाल, हम आज के समय के अनुसार, रिटर्न गिफ्ट के कुछ आइडिया दे रहे हैं। आप रिटर्न गिफ्ट के तौर पर मेहमानों को नीचे बताई गई चीजें दे सकते हैं :
- कैश : रिटर्न गिफ्ट में कैश देना काफी समय से प्रचलित है। आप अपने बजट के अनुसार, लिफाफे में कैश डालकर दे सकते हैं।
- मिठाई : भेंट में मिठाई देने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है और ज्यादातर लोग आज भी उपहार के तौर पर मिठाई मेहमानों को दे सकते हैं। आप चाहें तो मिठाई का डिब्बा भी रिटर्न गिफ्ट में दे सकते हैं।
- गैजेट्स : अपने खास मेहमानों को आप स्मार्ट फिट बैंड या फिर घड़ी जैसी चीजें दे सकते हैं।
- ऑनलाइन शॉपिंग कूपन : आजकल ऑनलाइन शॉपिंग का खूब चलन है। ऐसे में आप अपने मेहमानों को ऑनलाइन शॉपिंग का वाउचर दे सकते हैं।
- ड्राई फ्रूट्स : ड्राई फ्रूट्स का डिब्बा भी रिटर्न गिफ्ट के तौर पर दिया जा सकता है। यह भी एक शानदार तोहफा है, जो मेहमानों को पसंद आएगा।
- चांदी का सामान : इसके अलावा, आप चांदी का सिक्का भी मेहमानों को दे सकते हैं।
चूंकि, अन्नप्राशन संस्कार का समय बच्चे और उसके माता-पिता के लिए बेहद खास होता है। ऐसे में जरूरी है कि आपको इस बारे में सही जानकारी होनी चाहिए। इसके अलावा, कुछ मजेदार एक्टिविटी करके भी आप इस समारोह को और मजेदार बना सकते हैं। अगर आपने अपने बच्चे का अन्नप्राशन करा लिया है, तो उसके अनुभव हमारे साथ कमेंट बॉक्स में जरूर शेयर करें। इसके अलावा, बताएं कि आपने और किस तरह से इस समारोह को अनोखा और यादगार बनाया।