कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र, पूरे विधि-विधान से करें श्रीकृष्ण की पूजा

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र (Krishna Janmashtami Puja Vidhi aur Mantra): श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में भगवान की पूजा आधी रात को की जाती है। धर्म ग्रंथों में तो जन्माष्टमी की रात्रि में जागरण के विधान का उल्लेख भी किया गया है। वैष्णव संप्रदाय के अनुसार आधी रात के समय जब कृष्ण जन्माष्टमी हो, तो उसमें कृष्ण की पूजा करने से तीन जन्मों के पापों का नाश होता है। 

इसे गोकुलाष्टमी भी कहा जाता है। हर साल भगवान विष्णु के अष्टम अवतार के रुप में इस तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर लोग कान्हा जी के बाल स्वरूप की पूजा करते हैं। कई लोग अपने घरों में बाल गोपाल को रखते हैं। इस दिन बाल गोपाल की पूजा और सेवा एक छोटे बच्चे की भांति की जाती है। मान्यता है कि लड्डू गोपाल की सेवा से घर की सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं।

लड्डू गोपाल के प्रसन्न होने से व्यक्ति का मन बहुत प्रसन्न रहता है। इस दिन यदि विवाहित दंपत्ति श्रद्धा भाव से लड्डू गोपाल का पूजन करते हैं और भोग लगाते हैं तो उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है। आइए जानी मानी एस्ट्रोलॉजी और वास्तु स्पेशलिस्ट Arun Pandit   से जानें कि दंपत्ति कैसे जीवन में मिठास लाने के लिए पूजन कर सकते हैं।

----कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र (Krishna Janmashtami Puja Vidhi aur Mantra)----

  • श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव है। योगेश्वर कृष्ण के भगवदगीता के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं। जन्माष्टमी भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी इसे पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। 

    कृष्ण ने अपना अवतार भाद्रपद माह की कृष्णपक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में लिया। चूंकि भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे, अतः इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। 

    जन्माष्टमी में स्त्री-पुरुष 12:00 बजे तक व्रत रखते है। इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं और भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है और रासलीला का आयोजन होता है। 

----निसंतान दम्पति संतान सुख के लिए करें ये उपाय----

  • Arun Pandit Says that कि संतान की इच्छा रखने वाला शादीशुदा जोड़ा इस दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान ध्यान से निवृत्त हो जाए।
  • शुद्ध मन से लड्डू गोपाल को स्नान करवाएं और श्रृंगार चढ़ाएं।
  • लड्डू गोपाल के सम्मुख एक जटा नारियल और पांच प्रकार के फल चढ़ाएं।
  • फिर भगवान के सम्मुख बैठ कर श्री कृष्ण गर्भ स्तुति का पाठ लगातार पांच बार करें फिर नारियल फोड़ कर दोनों पति पत्नी खा लें।
  • ईश्वर की कृपा से उनकी संतान इच्छा को पूर्ति अवश्य होगी।

----वैवाहिक जीवन में कैसे बढ़ाएं मधुरता----

Arun Pandit Says that कि यदि पति पत्नी के जीवन में मिठास नहीं है या एक दूसरे को समझने में परेशानी आ रही है जिसके चलते आपसी संबंध बिगड़ रहे है तो आप दोनो जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण का मधुराशतकम् का पाठ दो बार करें। आप यदि इस उपाय को आजमाते हैं तो दंपत्ति के जीवन में मधुरता आएगी और लड़ाई झगड़े आपसी प्रेम में बदल जाएंगे।

जन्माष्टमी के दिन किये गए ये सभी उपाय और इन तरीकों से किया गया पूजन आपकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करने के साथ वैवाहिक जीवन में मधुरता भी लाएगा।

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----जन्माष्टमी उपवास----

अष्टमी दो प्रकार की है- पहली जन्माष्टमी और दूसरी जयंती। इसमें केवल पहली अष्टमी है। स्कंद पुराण के अनुसार जो भी व्यक्ति जान-बूझकर कृष्ण जन्माष्टमी व्रत नहीं करता, वह मनुष्य जंगल में सर्प और व्याघ्र होता है। ब्रह्मपुराण का कथन है कि कलयुग में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी में अट्ठाईस (28) वें युग में देवकी के पुत्र श्रीकृष्ण उत्पन्न हुए थे। 

यदि दिन या रात में कलामात्र भी रोहिणी न हो, तो विशेषकर चंद्रमा से मिली हुई रात्रि में इस व्रत को करें। भविष्य पुराण का वचन है– श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में कृष्ण जन्माष्टमी व्रत, जो मनुष्य नहीं करता, वह जरूर राक्षस होता है। केवल अष्टमी तिथि में ही उपवास करने का विधान है। 

यदि वही तिथि रोहिणी नक्षत्र से युक्त हो, तो जयंती नाम से संबोधित की जाएगी। ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार कृष्णपक्ष की जन्माष्टमी में यदि एक कला भी रोहिणी नक्षत्र हो, तो उसको जयंती नाम से ही संबोधित किया जाएगा। अतः उसमें प्रयत्न से उपवास करना चाहिए। 

वशिष्ठ संहिता का मत है- यदि अष्टमी तथा रोहणी इन दोनों का योग अहोरात्र में असंपूर्ण भी हो, तो मुहूर्त मात्र में भी अहोरात्र के योग में उपवास करना चाहिए। इस व्रत के प्रभाव से उनके समस्त कार्य सिद्ध होते हैं। विष्णु धर्म के अनुसार आधी रात के समय रोहिणी में जब कृष्णाष्टमी हो, तो उसमें कृष्ण की पूजा से तीन जन्मों के पापों का नाश होता है। 

जागरण 

धर्मग्रंथों में जन्माष्टमी की रात्रि में जागरण का विधान भी बताया गया है। कृष्णाष्टमी की रात को भगवान के नाम का संकीर्तन या उनके मंत्र नमो भगवते वासुदेवाय का जाप अथवा श्रीकृष्णावतार की कथा का श्रवण करें। 

श्रीकृष्ण का स्मरण करते हुए रात भर जगने से उनका सामीप्य तथा अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। 

जन्मोत्सव के पश्चात घी की बत्ती, कपूर आदि से आरती करें तथा भगवान को भोग में निवेदित खाद्य पदार्थों को प्रसाद के रूप में वितरित करके अंत में स्वयं भी उसको ग्रहण करना चाहिए। वैसे तो जन्माष्टमी में पूरे दिन उपवास रखने का नियम है, परंतु इसमें असमर्थ फलाहार कर सकते हैं।   

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