------माँ बगलामुखी -------
“बंगलमुखी” को हिंदी में “बगलामुखी” भी कहा जाता है। यह एक हिंदू देवी है और वह देवी शक्ति का प्रतिरूप है, जिन्हें भक्तों द्वारा समर्पित विशेष पूजा की जाती है। इसके पूजा विधान में मंत्रों और अनुष्ठान का विशेष महत्व होता है। बगलामुखी का अर्थ होता है “मुख की पलटन” या “मुख की ओर”।
माँ बगलामुखी एक प्रमुख हिंदू देवी हैं जो हिंदू धर्म में पूजी जाती हैं। वे बगलामुखी देवी, कलियुग की एक प्रमुख देवी मानी जाती हैं और उन्हें शक्ति की देवी के रूप में जाना जाता है।बगलामुखी देवी का नाम संस्कृत शब्द ‘बगल’ और ‘मुख’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है ‘गलत मुख’। उनके नाम में ‘बगल’ शब्द का इस्तेमाल उनकी सामर्थ्य को दिखाता है जो सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने की क्षमता रखती हैं।बगलामुखी देवी की पूजा का विशेष महत्व है, और उन्हें नेगेटिव ऊर्जाओं, दुश्मनों, और अवरोधकों को नष्ट करने के लिए आध्यात्मिक शक्ति के रूप में पूजा जाता है।बगलामुखी देवी को अंधकार और अज्ञान का प्रतिनिधि माना जाता है, जिन्होंने भगवान शिव से वरदान प्राप्त किया कि वे किसी भी शत्रु को अज्ञात कर सकती हैं। उनकी पूजा से भक्तों को शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।माँ बगलामुखी का चित्रण गहने, आसन, और वस्त्रों में पीले और काले रंग में किया जाता है, जो शक्ति और बल को प्रतिनिधित करते हैं। वे त्रिशूल, क्लब, पुस्तक, और गदा के साथ दिखाई देती हैं, जो उनकी सामर्थ्य को प्रतिनिधित करते हैं।
------माँ बंगलामुखी का पूजन ------
माँ बगलामुखी का पूजन हिंदी में विशेष रूप से किया जाता है। यहां माँ बगलामुखी का पूजन करने के लिए एक साधारण पूजा विधान दिया जा रहा है:
सामग्री:
- माँ बगलामुखी की मूर्ति या छवि
- पूजा के लिए सामग्री (फूल, धूप, दीप, नैवेद्य)
- पूजा के लिए अन्य सामग्री (कलश, गंगाजल, रोली, चावल, धान्य)
पूजा विधि:
- पूजा की शुरुआत में, पूजा स्थल को शुद्ध करें और माँ बगलामुखी की मूर्ति या छवि के सामने बैठें।
- पूजा के लिए सामग्री को स्थानापन करें।
- गंगाजल से हाथों को अभिषेक करें और पवित्र होंकार के साथ मन्त्रों का जप करें।
- माँ बगलामुखी को प्रणाम करें और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें।
- अब धूप, दीप, फूल आदि से पूजा करें।
- नैवेद्य को माँ के समक्ष रखें और उन्हें अर्पित करें।
माँ बगलामुखी के पूजन को और अधिक विशेष बनाने के लिए आप निम्नलिखित उपायों को भी अपना सकते हैं:
मंत्र जप: माँ बगलामुखी के शक्तिशाली मंत्रों का जप करना भी उनके पूजन का महत्वपूर्ण अंग है। “ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा” यह मंत्र अत्यधिक प्रभावशाली है।
ध्यान और ध्यानाभ्यास: ध्यान और ध्यानाभ्यास करके माँ बगलामुखी की ध्यान और उनकी आशीर्वाद आपको प्राप्त हो सकता है।
व्रत और उपवास: माँ बगलामुखी के व्रत और उपवास को मान्य करने से आप उनकी कृपा को अपने पास बुला सकते हैं।
यज्ञ और हवन: माँ बगलामुखी के नाम से यज्ञ और हवन करने से घर में शांति और समृद्धि का संचार हो सकता है।
सेवा और दान: गरीबों की सेवा करना और दान करना भी माँ बगलामुखी के पूजन में महत्वपूर्ण होता है।
बगलामुखी यन्त्र का प्रयोग: बगलामुखी यन्त्र का प्रयोग करने से धन, स्वास्थ्य, और समृद्धि में वृद्धि हो सकती है।
इन उपायों का अनुसरण करके आप माँ बगलामुखी की कृपा को प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में समृद्धि और शांति को स्थापित कर सकते हैं।
-----माँ बंगलामुखी यन्त्र ------
माँ बंगलामुखी का यंत्र एक प्राचीन तांत्रिक उपाय है जो उनकी शक्ति को आवाहन करने और अनुष्ठान करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह यंत्र उनकी कृपा, सुरक्षा और समृद्धि को प्राप्त करने में सहायक होता है। माँ बंगलामुखी का यंत्र विभिन्न धातुओं की तारामणि या तांत्रिक चिन्हों से बनाया जाता है और इस पर माँ बंगलामुखी के विभिन्न मंत्रों और चिन्हों का अनुकरण किया जाता है।
यंत्र को उपासना, ध्यान और मन्त्र जप के दौरान प्रयोग किया जाता है। ध्यान के दौरान, यंत्र के मंत्रों का उच्चारण और यंत्र के चित्रण के माध्यम से भक्त अपने मन को एकाग्र करता है और माँ बंगलामुखी के आध्यात्मिक सामर्थ्य को आवाहन करता है।
यंत्र को निर्मित करने के लिए सावधानी बरती जानी चाहिए और उसे उचित मंत्रों और पूजा के साथ प्रयोग किया जाना चाहिए। इसके अलावा, यंत्र का उपयोग शास्त्रीय और उपयुक्त मार्गदर्शन के साथ ही किया जाना चाहिए।
ध्यान रखें कि यंत्र का उपयोग शक्तिशाली और उद्दीपक हो सकता है, लेकिन इसे सही और समर्थन के साथ ही उपयोग करना चाहिए। अगर आपको यंत्र के बारे में अधिक जानकारी चाहिए तो धार्मिक ग्रंथों या विशेषज्ञों से संपर्क करें।
------माँ बंगलामुखी की दंतकथा ------
माँ बगलामुखी की दंतकथा विभिन्न पुराणों और तांत्रिक ग्रंथों में उल्लेखित है। यह कथा माँ बगलामुखी की महाकाव्यता और उनकी शक्ति को प्रकट करती है। यह दंतकथा अलग-अलग संस्कृतियों और परंपराओं में भिन्न-भिन्न रूपों में प्रस्तुत की जाती है। निम्नलिखित माँ बगलामुखी की दंतकथा का एक संक्षिप्त संस्करण है:
एक समय की बात है, देवताओं और असुरों के मध्य युद्ध चल रहा था। असुरों ने बहुत सारी शक्तियों का अपमान किया था। देवताओं को अपनी शक्तियों को फिर से प्रकट करने की आवश्यकता महसूस हुई। तब उन्होंने माँ बगलामुखी की कृपा को प्राप्त किया।
माँ बगलामुखी की रूपण युद्ध के क्षेत्र में हुआ, जहां उन्होंने अपने विशाल मुख को खोला और उनकी शक्ति से असुरों को ललकारा। उनकी शक्ति से असुरों को भयभीत होते देख देवताओं ने उन्हें समर्पित होने का निर्णय किया।
इस प्रकार, माँ बगलामुखी ने असुरों को पराजित करके देवताओं को विजय प्राप्त की। उन्होंने धरती को शांति और समृद्धि का आशीर्वाद दिया और अपनी भक्तों की संरक्षा की।
इस दंतकथा के माध्यम से, माँ बगलामुखी की महत्ता और शक्ति का वर्णन किया जाता है, जो उन्हें समस्त संसार के भयानक परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है।
------माँ बगलामुखी की आरती ------
जय माँ बगलामुखी, महा योगिनी।
तुमको नमो नमो, जग की राजनी॥
अर्धचंद्र सुखा मुक्ति दाता।
अंकुश शूल विश्वविनाशिनी॥
हंस असन बैठी, चिंताहरती।
भक्तन की रक्षा, करत सन्मति॥
बगला स्तुति सुनत सब संतन।
मंत्र जप करत हैं, मन्त्रविद्या धारन॥
शुभ फल दाता, अपशु शत्रु नाशिनी।
माँ बगलामुखी, जय जय कारी॥
त्रिभुज पीठ में, असुर संहारी।
भक्तन की रक्षा, करत संसारी॥
रत्न सिंहासन बैठी, चामर धारी।
सुरनायक नाचत, नृत्य करत हारी॥
माँ बगलामुखी, तुम भवन निवासिनी।
भक्तन की रक्षा, करत संसासिनी॥
जय माँ बगलामुखी, महा योगिनी।
तुमको नमो नमो, जग की राजनी॥
------माँ बगलामुखी के महामंत्र का जाप ------
माँ बगलामुखी के महामंत्र का जाप करने से भक्त उनकी कृपा को प्राप्त करते हैं और समस्त विपत्तियों से मुक्ति प्राप्त करते हैं। यहां माँ बगलामुखी का महामंत्र है:
“ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा”
यह मंत्र प्रतिदिन नियमित रूप से जप किया जा सकता है, विशेषतः सुबह और शाम के समय। जप के समय ध्यान और श्रद्धा के साथ माँ बगलामुखी का ध्यान करें। जप की संख्या को अपनी साधना और समय के अनुसार निर्धारित करें, हालांकि सामान्य रूप से १०८ माला की संख्या का जप किया जाता है।
ध्यान रहे कि मन्त्र जप को निरंतरता से और समर्पित भाव से करना चाहिए। इसके अलावा, पूजन, ध्यान, और आरती के साथ सम्पूर्ण भक्ति और श्रद्धा के साथ माँ बगलामुखी के आशीर्वाद को प्राप्त किया जा सकता है।
------माँ बगलामुखी की पूजा करने के कई फायदे ------
माँ बगलामुखी की पूजा करने के कई फायदे होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
शक्ति और साहस की वृद्धि: माँ बगलामुखी की पूजा से भक्त को शक्ति और साहस का अनुभव होता है। वे संकटों और परेशानियों का सामना करने की क्षमता प्राप्त करते हैं।
विरोधी शत्रु का नाश: माँ बगलामुखी की कृपा से भक्त अपने विरोधी शत्रुओं के प्रति सुरक्षित रहते हैं और उन्हें पराजित करते हैं।
बुद्धि और विवेक की प्राप्ति: उनकी पूजा से भक्त को बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है, जो उन्हें सही निर्णय लेने में मदद करती है।
धन और समृद्धि: माँ बगलामुखी की पूजा से भक्त को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
विवाह और परिवार की समृद्धि: उनकी पूजा से भक्त को विवाह और परिवार की समृद्धि में मदद मिलती है।
रोग निवारण: माँ बगलामुखी की पूजा से भक्त को रोग निवारण में सहायता मिलती है और उन्हें स्वस्थ रहने की शक्ति प्राप्त होती है।
अध्यात्मिक विकास: माँ बगलामुखी की पूजा से भक्त अपने अध्यात्मिक विकास की दिशा में प्रगति करते हैं। वे आत्मा की शुद्धि और साधना के माध्यम से आध्यात्मिक अवधारणाओं को समझने में सहायता प्राप्त करते हैं।
कार्य सफलता: माँ बगलामुखी की पूजा से भक्त को अपने कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। वे संकटों और परेशानियों को परिहार करके अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल होते हैं।
ग्रह दोष निवारण: माँ बगलामुखी की पूजा से भक्त अपने ग्रहों के दोषों का निवारण कर सकते हैं। वे ग्रहों के अशुभ प्रभावों से मुक्ति प्राप्त करते हैं और अच्छे भविष्य की प्राप्ति करते हैं।
अन्य समस्याओं का समाधान: माँ बगलामुखी की पूजा से भक्त अन्य समस्याओं जैसे कि धार्मिक संघर्ष, आर्थिक विपत्तियाँ, विवाद, आदि का समाधान प्राप्त कर सकते हैं। उन्हें निरंतरता और श्रद्धा से माँ बगलामुखी की आराधना करने के परिणामस्वरूप जीवन की हर स्थिति में साहस और स्थिरता की प्राप्ति होती है।
इन फायदों के साथ-साथ, माँ बगलामुखी की पूजा भक्त को निरंतर आध्यात्मिक समृद्धि और आनंद के अनुभव का भी अवसर प्रदान करती है।